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अक्षांश एवं देशांतर रेखा

अक्षांश एवं देशांतर।

विश्वात रेखा क्या है?

विश्वात रेखा या भूगोलीय रूप से “इक्वेटर” एक व्यासाकार रेखा है जो पृथ्वी को दो भागों में विभाजित करती है। यह रेखा ध्रुवों से लगभग 0°, वहाँ तापमान अधिकतम होता है और यह दक्षिण गोलार्ध में भारी तरह से समतल होता हुआ पाया जाता है। विश्वात रेखा को सामान्य भाषा में “क्वेटर” भी कहते हैं।

विश्वात रेखा पृथ्वी का अहम भूमिगत सीमा है जो उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी गोलार्ध को विभाजित करती है। इस रेखा पर तापमान औसत रूप से 27°C होता है और यह दुनिया की सबसे गर्म जगहों में से एक है। विश्वात रेखा के निकट तटबंधों पर समुद्री जीवन बहुत अधिक होता है जिससे इस क्षेत्र को “मार्गी जीवन का ग्रीष्मावकाश” भी कहते हैं।

अक्षांश एवं देशांतर

– विषुवत रेखा- पृथ्वी को दो बराबर भागों में बांटती है इसे विश्वत रेखा कहा जाता है।
– पृथ्वी के उत्तर में स्थित आधे भाग को उत्तरी गोलार्ध तथा दक्षिणी वाले आधे भाग को दक्षिण गोलार्ध कहा जाता है इन दोनों के बराबर आधे भाग होते हैं।
– विश्वत रेखा से ध्रुवों तक स्थित सभी समांतर रेखो को अक्षांश रेखा कहां जाता है । अक्षांशों को अंश में मापा जाता है।
– विश्वत रेखा 0 अक्षांश को दर्शाती है क्योंकि विश्वत वृत्त से दोनों तरफ दोनों के बीच की दूरी पृथ्वी के चारों ओर के रेखा का एक चौथाई है अत: इसका माप 360° अंश का 1/4 भाग यानी 90 अंश है। इस प्रकार 90 अंश उत्तरी अक्षांश उत्तर ध्रुव को दर्शाता है तथा 90 अंश दक्षिणी अच्छा दक्षिण ध्रुव को दर्शाता है।
– विश्वत रेखा के उत्तर के सभी समांतर रेखाओं को उत्तरी अक्षांश कहा जाता है तथा विश्वत रेखा के दक्षिण स्थित सभी समांतर रेखाओं को दक्षिणी अक्षांश कहा जाता है।
महत्वपूर्ण अक्षांश
– विश्वत रेखा- ( 0° ), उत्तर ध्रुव- ( 90° उ.) तथा दक्षिण ध्रुव -( 90° द.) के अतिरिक्त चार महत्वपूर्ण अक्षांश रेखाएं है।
1- उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा- ( 23 1/2° उ.)
2 – दक्षिणी गोलार्ध में मकर रेखा- ( 23 1/2° द.)
3- विषुवत रेखा के 66 1/2° उत्तर में उत्तर ध्रुव वृत।
4- विश्वत रेखा के 66 1/2° दक्षिण में दक्षिण वृत।
पृथ्वी के ताप कटिबंध
करके रखा है वह मकर रेखा के बीच के सभी अक्षांशों पर सूर्य वर्ष में एक बार दोपहर में सिर के ठीक ऊपर होता है इसलिए इस क्षेत्र में सबसे अधिक उसमें प्राप्त होती है तथा इसे उष्ण कटिबंध कहा जाता है।
– कर्क रेखा तथा मकर रेखा के बाद किसी भी अक्षांश पर दोपहर का सूर्य कभी भी सिर के ऊपर नहीं होता ध्रुव की तरफ सूर्य की किरने तिरछी हो जाती है ,इसी प्रकार उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा एवं उत्तर ध्रुव वृत्त तथा दक्षिणी गोलार्ध में मकर रेखा एवं दक्षिणी ध्रुव वृत्त के बीच वाले क्षेत्र का तापमान मध्यम रहता है इसलिए इसे शीतोष्ण कटिबंध कहां जाता है।

कटिबंध
– उत्तरी गोलार्ध में उत्तर ध्रुव वृत्त एवं उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणी ध्रुव वित्त एवं दक्षिणी ध्रुव के बीच के क्षेत्र में ठंड बहुत होती है क्योंकि यहां कसूर शिक्षित से ज्यादा ऊपर नहीं आ पाता इसलिए इसे शीत कटिबंध कहते हैं।
– उत्तर ध्रुव को दक्षिण ध्रुव से जोड़ने वाली संदर्भ रेखा से पूर्व या पश्चिम, इन संदर्भ रेखाओं के बीच की दूरी को याम्योत्तर कहते हैं तथा उनके बीच की दूरी को देशांतर के अंशों में मापा जाता है। प्रत्येक अंश को मिनट में तथा मिनट को सके में विभाजित किया जाता है।
– ये अर्धवृत्त है तथा उनके बीच की दूरी ध्रुव की तरफ बढ़ने पर घटती जाती है एवं ध्रुवों पर 0 हो जाती है जहां सभी देशांतर याम्योत्तर आपस में मिलती है।
– अक्षांश रेखाओं से इन सभी देशांतरीय मित्रों की लंबाई समान होती है।
– सभी देशों ने निश्चय किया कि ग्रीनीज जहां ब्रिटिश राज के वेधशाला स्थित है वहां से गुजरने वाली हमें उत्तर से पूर्व और पश्चिम की ओर गिनती शुरू की जाए इस याम्योत्तर को प्रमुख याम्योत्तर कहते हैं, इसका मान 0° देशांतर है तथा यहां से हम 180° पूर्व या 180° पश्चिम तक गन्ना करते हैं।
– प्रमुख याम्योत्तर तथा 180° याम्योत्तर मिलकर पृथ्वी को दो सामान भागो पूर्वी गोलार्ध एवं पश्चिमी गोलार्ध में विभक्त करती है। इसलिए किसी अस्थान के देशांतर के आगे पूर्व के लिए पू. का उपयोग किया जाता है तथा वहीं पर पश्चिम के लिए प. का उपयोग किया जाता है।
– पूर्व 180° तथा पश्चिम 180° एक ही याम्योत्तर रेखा पर स्थित है।
देशांतर तथा समय
समय को हम नापने के लिए पृथ्वी चंद्रमा तथा ग्रहों की
गति को देख सकते हैं।
– ग्रीनिच पर स्थित प्रमुख याम्योत्तर पर सूर्य जिस समय काट के सबसे ऊंचे बिंदु पर होगा उस समय याम्योत्तर पर स्थित सभी स्थानों पर दोपहर होगी ऐसा इसलिए होगा क्योंकि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर चक्कर लगाती है अतः स्थान को ग्रीन इसके पूर्व में है उनका समय गिरीश समय से आगे होगा तथा जो पश्चिम में है उनका समय पीछे होगा समय के अंतर की गणना निम्नलिखित विधि से की जा सकती है।
– पृथ्वी लगभग 24 घंटे में अपने अक्ष पर 360° घूम जाती है अर्थात वह 1 घंटे में 15° 4 मिनट में 1° घूमती है। इस प्रकार जब ग्रीनीज में दोपहर के 12 बजते हैं तब ग्रीनिज से 15° पूर्व में समय होगा 15×4=60 मीनट होगा अर्थात ग्रीनिच के समय से एक घंटा आगे अर्थात वहां दोपहर का 1 बजा होगा। लेकिन ग्रीनिच से 15° पश्चिम का समय ग्रीनिच इस समय से एक घंटा पीछे होगा यानी कि वहां पर 11:00 बजे होंगे।
– किसी भी स्थान पर जब सूर्य आकाश में अपने उत्तम बिंदु पर होता है दोपहर में उस समय घड़ी में दिन के 12:00 बजते हैं इस प्रकार घड़ी के द्वारा दिखाए गए समय उस स्थान का स्थानीय समय होगा।

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