पेड़ और बच्चे की दोस्ती की कहानी बच्चो के लिए
पेड़ और बच्चे की दोस्ती की कहानी
एक गाँव में रामु नाम का एक व्यक्ति रहता था. रामु काफी छोटा था इसलिए वह घर के कामो में ध्यान नहीं देता रामु के घर के ठीक समने एक आम का पेड़ था जहाँ वो हर रोज़ खेलने के लिए जाता रामु का एक भी दोस्त नहीं थे इसलिए वह अकेले दिन भर वहाँ खेलता और शाम होते ही घर आता ।
इसी तरह समय बीतता गया। पेड़ उसे अकेले देख कर मन ही मन दुःखी था एक दिन जब रामु ने उस पेड़ के पास खेलने गया तो पेड़ ने आवाज दी रामु क्या तुम मुझे अपने दोस्त बनाओगे। रामु ने उसकी बाते आंसूनी कर दी और वह खेलने लगा। पेड़ ने फिर से आवाज दी रामु डर गया और चुपचाप खड़ा हो गया तभी पेड़ ने अपनी पैर आगे की और टहनी से हाथ मिलाया रामु यह देखकर ओर भी डर गया था तभी पेड़ ने फिर से आवाज दी रामु मत डरो में तुम से दोस्ती करना चाहता हूँ। रामु ने इतना सुनते ही कहा तुम बोल सकते हो और चल भी सकते हो पेड़ ने बोला हाँ फिर दोनों में दोस्ती हो गई ।
रामु अब अकेले नहीं था वो दोनों हर रोज साथ -साथ खेलते थे और बहुत खुश थे। रामु अब बड़ा हो गया था और अब उसे घर के ख़र्च की फिक्र था रामु खेलने भी नहीं जाता इसलिए पेड़ बहुत उदास रहने लगा। गर्मियों का मौसम आया पेड़ में फल भी आने लगा रामु गर्मियों के कारण आम के पेड़ के पास जा पहुँचा पेड़ खुश हो गया और रामु से कहाँ तुम अब खेलने क्यों नहीं आते रामु ने कहा अब में बडा हो गया हूँ मुझे पैसे की जरुरत है पेड़ ने कहा मेरे पास जितने भी आम है वो तुम तोड़ के ले जाओ रामु ने इतना सुनते ही आम तोड़ लिया और घर आ पहुँचा।
रामु फिर से पेड़ के पास जाना बंद कर दिया। एक दिन उदास होकर टहलते हुए पेड़ के पास पहुँचा पेड़ ने रामु को उदास देखकर कहा तुम उदास क्यों हो रामु ने फिर से वही बात बताई। पेड़ ने इस बार सारी टहनी ले जाने को कहा रामु ने ठीक वैसे ही सारी टहनी काट कर ले गया समय बीतता गया रामु अब बूढ़ा हो गया था पेड़ के पास देने के लिए कुछ भी नहीं बचा था रामु वही पेड़ के रास्ते से गुजर रहा था रामु चलने के कारण काफी थका लग रहा था। तभी पेड़ ने कहा रामु तुम बहुत परेशान लग रहे हो मुझे माफ करना रामु मेरे पास अब देने के लिए कुछ भी नहीं है लेकिन मेरे जड़ों पर बैठ के आराम कर सकते हो बूढ़े रामु ने बैठ कर आराम किया।
तो दोस्तों हमें इस(पेड़ और बच्चे की दोस्ती की कहानी) कहानी से यह सिख मिलती है की पेड़ अपनी जान का पर्वा ना करते हुए हमें अपना सब कुछ देती है और उसके बदले में हम उसे पानी भी नहीं देते।
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Today, I went to the beach with my kids. I found a sea shell and gave it to my 4 year
old daughter and said “You can hear the ocean if you put this to your ear.” She placed the shell to her ear and screamed.
There was a hermit crab inside and it pinched her ear. She never wants to go
back! LoL I know this is entirely off topic but
I had to tell someone!