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2 beautiful story to read and learn for kid

बकरी और लोमड़ी की कहानी

एक बकरी थी उस बकरी की चार बच्चे थे। उसमे से तीन बच्ची थी और एक जो सबसे छोटा था वह था लड़का। जो बकरी का सबसे छोटा बेटा था वह बहुत ही बुद्धिमान और समझदार था। एक दिन की बात है बकरी ने अपने बच्चो से बोली बच्चो में तुम लोगो के लिए कुछ खाना लेने जा रही हूँ तुम सब घर पे ही रहना और दरवाजा नहीं खोलना इधर भेड़िया बहुत घूमती है सभी बच्चो ने बोला ठीक है माँ हम सब घर पर ही रहेंगे और दरवाजा बंद कर के रहेंगे तब तक की आप नहीं आ जाते। फिर बकरी यह कह कर चली जाती है तभी भेड़िया सब सुन लेती है और दरवाजा खटखटाने लगती है तभी सभी बकरी के बच्चे बोलते है चलो -चलो माँ आ गई तभी सबसे छोटा वाला बच्चा बोलता है रुको दरवाजा नहीं खोलो माँ तो अभी गई है इतनी जल्दी नहीं आई होगी जरुर भेड़िया होगी और सभी बच्चे दरवाजा नहीं खोलते है। भेड़िया कुछ देर रुक कर फिर से दरवाजा खटखटाता है और इस बार बकरी के बच्चे दरवाजा खोल देते है इस बार छोटे वाले की बात नहीं मानते हैं पर छोटा बच्चा बाहर नहीं निकलता वह कहीं अच्छी जगह छुप जाता है जहाँ वह सुरच्छित रह सके। भेड़िया तीन बच्चो को देखकर बहुत खुश होता है और एक थैला में भर कर उन तीनो को ले जाता हैं। तभी उसकी माँ खाना ले कर आती है और अपने बच्चो को घर पर नहीं देख कर रोने लगती है माँ की रोने की आवाज सुनकर छोटा बच्चा बाहर निकलता है और सारी बात बताता है यह सुनकर बकरी बहुत ही गुस्सा होती है और भेड़िया को खोजने निकल जाती है कुछ दूर जाने के बाद एक पेड़ के नीचे देखी की भेड़िया सो रही थी। बकरी ने धीरे से उस थैले में से अपने बच्चो को निकालती और थैले में पत्थर डाल देती और अपने बच्चो को लेकर अपने घर आ गई और खुशी -खुशी रहने लगी।

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लकड़हारे की कहानी

एक छोटा सा गांव था उस गांव में रामु नाम का एक लकड़हारा रहता था उस लकड़हारे की घर में उसके साथ उसकी पत्नी रहती थी लकड़हारे रोज जगंल जाता और जगंल से सुखी लकड़ी काट कर लाता और फिर उसे बाजार में जाकर बेचता और फिर उसे बेचकर अपना और अपनी पत्नी का देख रेख करता वह लकड़हारा इतनी गरीब था की अगर वह एक दिन लकड़ी नहीं बेचता तो उसका घर में खाना भी नहीं पकता रोज की तरह आज भी वो जंगल गया लेकिन उसे कही भी सुखी लकड़ी नहीं मिली दिन भर घूमता रहा शाम को वो खाली हाँथ पति को देखकर पत्नी सोचने लगी की आज तो हमलोगो को भूखा ही रहना पड़ेगा और रात में वो दोनों खली पेट ही सो गए फिर जब सुबह हुई तो लकड़हारे ने अपनी कुल्हाड़ी ली और फिर जंगल की तरफ लकड़ी काटने चला गया जंगल में जाते -जाते वो बहुत दूर चला गया जंगल में देखा की एक नदी के उस किनारे एक सूखा पेड़ था लकड़हारे ने नदी पार किया और सूखे पेड़ के पास चला गया लकड़हारे ने सोचा आज इस लकड़ी को बेचकर आज का भोजन हो जायेगा और वह पेड़ पर चढ़ कर काटने लगा थोड़ा ही लकड़ी काटा और उसकी कुल्हाड़ी नदी की पानी में गिर गया लकड़हारे ने पेड़ से निचे उतरा और किनारे बैठ कर रोने लगा यह सोचने लगा की कुल्हाड़ी तो अब पानी में गिर गया अब में लकड़ी कैसे काटूंगा लगता हे आज भी भूखा पेट सोना पड़ेगा तभी पानी से बहुत ही तेज रौशनी आई और लकड़हारे ने देखा की उसके  सामने एक वयक्ति खड़ा है उसव्यक्ति ने लकड़हारे से पूछा तुम क्यों रो रहे हो लकड़हारे ने  रोते हुए बोला मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई में लकड़ी कैसे काटूँगा तभी उस वयक्ति ने पानी में डूबा और चमचमता हुआ सोने का एक कुल्हाड़ी पानी से निकला और बोला ये लो तुम्हारा कुल्हाड़ी लकड़हारे ने उस कुल्हाड़ी को देखा और बोला ये मेरी कुल्हाड़ी नहीं है वह इतनी चमकीली नहीं है उस व्यक्ति ने फिर से पानी के अंदर गया और चांदी का एक कुल्हाड़ी निकला और बोलै लो तुम्हारा कुल्हाड़ी लकड़हारा ने फिर देखा और बोलै ये भी हमारी कुल्हाड़ी नहीं है उस व्यक्ति ने फिर से नदी में डूबा और एक कुल्हाड़ी निकला लकड़हारे उस कुल्हाड़ी को देखा और बोला हाँ यही है हमारा कुल्हाड़ी उस व्यक्ति ने लकड़हारे को कुल्हाड़ी दे दी और बोला तुम बहुत ही ेइमन्दार  और नेक इन्सान हो में तुम्हे इसलिए ये जादुई कुल्हाड़ी दे रहा हु इस कुल्हाड़ी से तुम जो चाहोगे वो मांग सकते हो इतना कह कर व्यक्ति चला जाता है   लकड़हारा ये सारि बात अपनी पत्नी को बताता है और हँसी खुशी रहने लगा है

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