Karma pooja – worship of nature in India
कर्मा पूजा -Karma pooja
कर्मा पूजा भारत के गांवो में मनाये जाने वाले एक लोकप्रिय त्योहारों में से एक है।
यह एक हिन्दु त्यौहार है , जो प्रकृति की पूजा की जाती है।
चलिए जानते इस त्यौहार को
कर्मा पूजा कब मनाया जाता है?
कर्मा पूजा वर्षा ऋतू में जब किसान अपनी खेती करते है
और उनकी फसल लहलहा कर खिल उठती है , ठीक उसी समय यह त्यौहार का आगमन होती है।
अर्थात यह अगस्त – सितम्बर के महीने में होती है।
इससे जुडी मान्यता -Karma pooja
ऐसे तो इस त्यौहार का मान्यता हर अलग अलग स्थानों में अलग अलग है ,
और वे इन्हे अलग -अलग तरह से मानते भी है।
कुछ लोगो इसे प्रकृति की हरियाली को जो मानव जीवन की एक आहूत ही आवस्यक अंग है ,
के लिए इनकी पूजा करतें है।
कुछ लोग पसलो की रोपाई और उनकी फसल ठीक तरह खेतो में बढ़ रहे की,
ख़ुशी में प्रकृति की पूजा इस माध्यम से करते हैं।
वंही लड़कियां ये मानते है की वे अपनी भाई और पिता जो पुरे संसार के लिए
अन्नाज उत्पन कर खिलाते है। और इसके लिए वो प्रकृति अपनी परिवार की
सलामती और ख़ुशी के लिए व्रत रख पूजा अर्चना करते है।
मान्यता चाहे जो हो लेकिन इस त्यौहार में प्रकृति की ही पूजा की जाती है।
किनकी पूजा की जाती है ?
इस त्यौहार में पूरी तरह से प्रकृति की ही पूजा की जाती है ,
इसमें कर्मा नाम का एक पेड़ है जिनकी डाल को प्रकृति की
सब स्वरूप मन उनकी पूजा कर विषर्जन कर दी जाती है।
कैसे पूजा की जाती है ?
कर्मा पूजा मुख्य रूप से बेटिया करती हुयी आयी है , यह नौ दिन की पूजा होती है।
इनका सुरुवात जावा ( यह बालू में फसल के कई अनाज के बीज ) को बो दिया जाता है ,
और उन्हें आठ दिन तक रोज एक स्थान पर रख उनकी पूजा अर्चना की जाती है ,
प्रकृति से अर्थात इस्वर से जावा की सलामती के साथ उनकी वृद्धि की रोज प्राथन करती है।
यह प्राथना गीतों के माध्यम से होती है। यह सभी लड़कियों के लिए बहुत ही
आनद की क्षण होती है। इस कार्यकर्म में घर की महिलाये भी पूरी साथ देती है
और उनके साथ -साथ प्राथना और लोकनृत्य में सहयोग करती हैं।
नवां दिन इसकी पूरी तैयारी के साथ धूम -धाम से पूजा की जाती
और पुरुष भी इनके लिए पूरी सहयोग करतें हैं।
इस पूजा में लोकगीत और लोकनृत्य खूब होती है। सभी पुरे आनंदित होतें है।,
कर्मा पूजा में बनाये जाने वाली पकवान -Karma pooja
इस त्यौहार में अलग -अलग जगह पर लोग इस दिन बड़ी हरसो उल्लास से कई प्रकार के पकवन बनाते हैं।
यह लोक प्रियता लगभग भारत के बाहुत से गांवो में बन गयी है। इस त्योहार में बेटियों के मन बड़ी हि हर्सोल्लाष से भरा होता है।
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