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what are the basic 2 types of motion of the earth पृथ्वी की गतियां

पृथ्वी की गतियां

पृथ्वी की गतियां
– पृथ्वी के दो प्रकार की गति हैं जिनके नाम घूर्णन तथा परिक्रमण है।
घूर्णन- पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना घूर्णन कहलाता है।
– सूर्य के चारों ओर एक स्थिर कक्ष में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहलाता है।Earth and Motion

कक्षीय समतल
– पृथ्वी का आज एक काल्पनिक रेखा है जो इसके कक्षीय सत्तह से 66 1/2 का कौन बनाती है वह समतल जो कक्ष के द्वारा बनाया जाता है उसे कक्षीय समतल कहते हैं।
प्रदीप वृत्त
– ब्लू परवाह ब्रिज जो दिन तथा रात को विभाजित करता है उसे प्रदीप्त वृत्त कहते हैं या वृत के साथ नहीं मिलता है।
– पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 24 घंटे का समय लेती है।
– घूर्णन के साथ काल को पृथ्वी दिन कहा जाता है यह पृथ्वी की गति है।
परिक्रमण
– पृथ्वी की दूसरी गति जो सूर्य के चारों ओर कच्छ मेरा होती है उसे परिक्रमण कहा जाता है।
लीप वर्ष
– पृथ्वी 1 वर्ष 365 1/4 दिन में सूर्य का एक चक्कर लगाती है हम लोग 1 वर्ष 365 दिन का मानते हैं तथा सुविधा के लिए 6 घंटे को इसमें नहीं जोड़ते हैं।
– 4 वर्षों में प्रत्येक वर्ष बचे हुए 6 घंटे मिलकर एक दिन बनाते हैं यानी 24 घंटे के बराबर हो जाते हैं इसके अतिरिक्त दिन को फरवरी में जोड़ा जाता है इस प्रकार प्रत्येक चौथे वर्ष फरवरी माह के 28 के बदले 29 दिन का होता है ऐसा वर्ष जिसमे 366 दिन होते हैं उसे लीप वर्ष कहा जाता है।
पृथ्वी पर मौसम बदलता क्यों है?
– पृथ्वी पूरे कक्ष में एक ही दिशा में झुकी हुई है समानता: 1 वर्ष को गर्मी सर्दी बसंत एवं शरद ऋतु में बांटा जाता है ऋतुओं में परिवर्तन सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की स्थिति में परिवर्तन के कारण होता है।
– पृथ्वी 21 जून को उत्तरी गोलार्ध सूर्य की तरफ झुका है सूर्य के किरणे कर्क रेखा पर सीधी पड़ती है इसके परिणाम स्वरूप इन क्षेत्रों में उष्मा अधिक प्राप्त होती है ध्रुवों के पास वाले क्षेत्र में कम उष्मा प्राप्त होती है क्योंकि वहां सूर्य की किरने तिरछी पड़ती है उत्तर ध्रुव सूर्य की तरफ झुका होता है तथा उत्तरी ध्रुव रेखा के बाद वाले भागों पर लगभग 6 महीने तक लगातार दिन रहता है। जिसके कारण उत्तरी गोलार्ध पर बहुत बड़े भाग में सूर्य की रोशनी प्राप्त होती है इसलिए विश्वत वितृ के उत्तरी भाग में गर्मी का मौसम होता है।

उत्तर आयांत
– 21 जून को पृथ्वी पर इन क्षेत्रों में सबसे लंबा दिन तथा सबसे छोटी रात होती है पृथ्वी की इस अवस्था को उत्तर आयांत कहते हैं।earth-movement-
दक्षिण आयांत
– 22 दिसंबर को दक्षिण ध्रुव के सूर्य की ओर झुके होने के कारण मकर रेखा पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है सूर्य की किरने मकर रेखा पर लंबवत पढ़ती है इसलिए दक्षिण गोलार्ध के बहुत बड़े भाग में प्रकाश प्राप्त होता है इसलिए दक्षिणी गोलार्ध में लंबे दिन तथा छोटी रातें वाली ग्रीष्म ऋतु होता है इसके ठीक विपरीत स्थिति उत्तरी गोलार्ध में होती है प्रीति की इन अवस्था को दक्षिण आयांत कहते हैं।
– ऑस्ट्रेलिया में ग्रीष्म ऋतु में क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है।
विषुव
– 30 मार्च तथा 23 सितंबर को सूर्य की किरणें विश्व वक्त वृत्त पर सीधी पड़ती है इस अवस्था में कोई भी दुरउसूल की ओर नहीं झुका होता है इसलिए पूरी पृथ्वी पर रात और दिन बराबर होते हैं इसे विषुव कहा जाता है।

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मानचित्र
मानचित्र- मानचित्र से करते हैं जिससे हम पृथ्वी के बारीकियों का पता करते हैं तथा अध्ययन करते हैं‌।
मानचित्र को वास्तव में कहां प्रयोग करते हैं?
– मानचित्र को हम दैनिक जीवन में कोई शहर ,गांव ,पर्वत, नदियां देश, महाद्वीपों क्षेत्रफल तथा उनके बारीकियों का पता करने के लिए हम लोग मानचित्र का सहयोग लेते हैं।
– मानचित्र के दो प्रकार हैं
1- भौतिक मानचित्र
2- सामाजिक मानचित्र
भौतिक मानचित्र
– पृथ्वी पर प्राकृतिक आकृतियों का ‌जानकारियों का पता करना तथा उनकी बारीकियों का पता करना से भौतिक मानचित्र कहते हैं। जैसे -पर्वत ,पठार ,नदियां,महासागर
सामाजिक मानचित्र
पृथ्वी पर मौजूद विभिन्न देश, राज्य ,गांव तथा उनकी सीमाओं का अध्ययन तथा उनकी जानकारी प्राप्त करना उसे सामाजिक मानचित्र कहते हैं। जैसे- कोई शहर का क्षेत्रफल
थेमेटिक मानचित्र
– कुछ ऐसे मानचित्र होते हैं जिससे हम सड़क ,वर्षा, वन तथा उद्योगी आदि के वितरण को दर्शाने वाले मानचित्र इत्यादि इस प्रकार के मानचित्र को थेमेटिक मानचित्र कहते हैं । इन मानचित्रो में दी गई गई सूचना के अनुसार इनका उचित नामाकरण होता है।

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